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इस घटना के कारण डाकू से ऋषि बन गए थे वाल्मिकी,इनके नाम के पीछे छुपा है ये रहस्य

19:27 / BY Unknown
कहते हैं कभी-कभी जीवन में घटी एक घटना पूरे जीवन को बदल सकती है। जो व्यक्ति स्वार्थ और बुराईयों से घिरा रहता है। वो एक पल में जीवन की मोह-माया त्यागकर सत्य की खोज में निकल सकता है। कुछ ऐसी ही कहानी है रामायण के रचयिता वाल्मिकी के जीवन की। जो पहले एक लुटेरे थे। जिनका काम जंगल के मार्ग से गुजर रहे मनुष्यों से, लूटपाट करना। लेकिन उनके जीवन में एक ऐसी घटना घटी...

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भगवान परशुराम ने क्यों किया था 21 बार क्षत्रियों का संहार ?

00:58 / BY Unknown
भगवान परशुराम को भगवन विष्णु का छठवां अवतार माना जाता हैं। भगवान परशुराम के बारे में यह प्रसिद्ध है कि उन्होंने तत्कालीन अत्याचारी और निरंकुश क्षत्रियों का 21 बार संहार किया। लेकिन क्या आप जानते हैं भगवान परशुराम ने आखिर ऐसा क्यों किया? इसी का जवाब देती है एक रोचक पुराण कथा – महिष्मती नगर के राजा सहस्त्रार्जुन क्षत्रिय समाज के हैहय वंश के राजा कार्तवीर्य और रानी कौशिक के पुत्र थे | सहस्त्रार्जुन का...

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जानिए, अपनी माता का वध क्यों किया था परशुराम ने और कहाँ मिली थी उन्हें मातृहत्या के पाप से मुक्ति ?

00:49 / BY Unknown
परशुराम भगवान विष्णु के आवेशावतार थे। उनके पिता का नाम जमदग्नि तथा माता का नाम रेणुका था। परशुराम के चार बड़े भाई थे लेकिन गुणों में यह सबसे बढ़े-चढ़े थे। एक दिन गन्धर्वराज चित्ररथ को अप्सराओं के साथ विहार करता देख हवन हेतु गंगा तट पर जल लेने गई रेणुका आसक्त हो गयी और कुछ देर तक वहीं रुक गयीं। हवन काल व्यतीत हो जाने से क्रुद्ध मुनि जमदग्नि ने अपनी पत्नी के आर्य मर्यादा...

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भगवान परशुराम के जीवन से जुडी रोचक बातें

00:38 / BY Unknown
हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को भगवान परशुराम की जयंती मनाई जाती है। धर्म ग्रंथों के अनुसार इसी दिन भगवान विष्णु के आवेशावतार परशुराम का जन्म हुआ था। आज हम आपको भगवान परशुराम से संबंधित कुछ रोचक बातें बता रहे हैं, जो इस प्रकार है। 1.अपने शिष्य भीष्म को नहीं कर सके पराजित (adsbyjuicy = window.adsbyjuicy || []).push({'adzone':637117}); महाभारत के अनुसार महाराज शांतनु के पुत्र भीष्म ने भगवान...

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श्री कृष्ण ने किया था एकलव्य का वध, मगर क्यों?

00:25 / BY Unknown
महाभारत काल मेँ प्रयाग (इलाहाबाद) के तटवर्ती प्रदेश मेँ सुदूर तक फैला श्रृंगवेरपुर राज्य एकलव्य के पिता निषादराज हिरण्यधनु का था। गंगा के तट पर अवस्थित श्रृंगवेरपुर उसकी सुदृढ़ राजधानी थी। उस समय श्रृंगवेरपुर राज्य की शक्ति मगध, हस्तिनापुर, मथुरा, चेदि और चन्देरी आदि बड़े राज्योँ के समकक्ष थी। निषाद हिरण्यधनु और उनके सेनापति गिरिबीर की वीरता विख्यात थी। निषादराज हिरण्यधनु और रानी सुलेखा के स्नेहांचल से जनता सुखी व सम्पन्न थी। राजा राज्य का...

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क्यों हुआ अर्जुन और श्री कृष्ण में युद्ध?

00:15 / BY Unknown
एक बार महर्षि गालव जब प्रात: सूर्यार्घ्य प्रदान कर रहे थे, उनकी अंजलि में आकाश मार्ग में जाते हुए चित्रसेन गंधर्व की थूकी हुई पीक गिर गई। मुनि को इससे बड़ा क्रोध आया। वे उसे शाप देना ही चाहते थे कि उन्हें अपने तपोनाश का ध्यान आ गया और वे रुक गए। उन्होंने जाकर भगवान श्रीकृष्ण से फरियाद की। श्याम सुंदर तो ब्रह्मण्यदेव ठहरे ही, झट प्रतिज्ञा कर ली – चौबीस घण्टे के भीतर चित्रसेन...

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जब हनुमान जी ने सत्यभामा, गरुण और सुदर्शन चक्र का घमण्ड चूर किया

21:15 / BY Unknown
एक बार सुदर्शन चक्र को स्वयं की शक्ति पर अभिमान हो गया था और भगवान श्री कृष्ण ने उनके अभिमान को दूर करने के लिए श्री हनुमान जी की सहायता ली थी। सुदर्शन चक्र को यह अभिमान हो गया था कि उसने इंद्र के वज्र को निष्क्रिय किया था। वह लोकालोक के अंधकार को दूर कर सकता है। भगवान श्री कृष्ण अतंत उसकी ही सहायता लेते हैं। भगवान अपने भक्तों का सदा कल्याण करते हैं...

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पौराणिक कथा- कैसे हुआ नारियल का जन्म?

21:08 / BY Unknown
हिन्दू धर्म में नारियल का विशेष महत्व है। नारियल के बिना कोई भी धार्मिक कार्यक्रम संपन्न नहीं होता है। नारियल से जुडी एक पौराणिक कथा भी प्रचलित है जो जिसके अनुसार नारियल का इस धरती पर अवतरण ऋषि विश्वामित्र द्वारा किया गया था। आज हम आपको नारियल के जन्म से जुडी यही कहानी बता रहे है। यह कहानी प्राचीन काल के एक राजा सत्यव्रत से जुड़ी है। सत्यव्रत एक प्रतापी राजा थे, जिनका ईश्वर में...

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जब भगवान विष्णु ने किया माता पार्वती के साथ छल

21:02 / BY Unknown
माना जाता है कि बद्रीनाथ धाम कभी भगवान शिव और पार्वती का विश्राम स्थान हुआ करता था। यहां भगवान शिव अपने परिवार के साथ रहते थे लेकिन श्रीहरि विष्णु को यह स्थान इतना अच्छा लगा कि उन्होंने इसे प्राप्त करने के लिए योजना बनाई। पुराण कथा के अनुसार सतयुग में जब भगवान नारायण बद्रीनाथ आए तब यहां बदरीयों यानी बेर का वन था और यहां भगवान शंकर अपनी अर्द्धांगिनी पार्वतीजी के साथ मजे से रहते...

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महाभारत के 18 प्रमुख पात्र और उनसे जुडी रोचक बातें

20:55 / BY Unknown
महाभारत को शास्त्रों में पांचवां वेद कहा गया है। इसके रचयिता महर्षि कृष्णद्वैपायन वेदव्यास हैं। महर्षि वेदव्यास ने इस ग्रंथ के बारे में स्वयं कहा है- यन्नेहास्ति न कुत्रचित्। अर्थात जिस विषय की चर्चा इस ग्रंथ में नहीं की गई है, उसकी चर्चा अन्यत्र कहीं भी उपलब्ध नहीं है। आज हम आपको बता रहे हैं महाभारत के उन प्रमुख पात्रों के बारे में जिनके बिना ये कथा अधूरी है। साथ ही जानिए इन पात्रों से...

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कहानी राजा ययाति की पुत्री माधवी की – नारी के यौन शोषण की एक पौराणिक कथा

20:37 / BY Unknown
आज की पौराणिक कहानी है नहुष कुल में उत्पन्न चन्द्रवंश के पांचवें राजा ययाति की पुत्री ‘माधवी की। इस कथा का वर्णन महाभारत के उद्योगपर्व के 106वें अध्याय से 123वें अध्याय में आता है। माधवी थी तो राज पुत्री पर उसके पिता ‘ययाति’ ने उसे इसलिए गालव ऋषि को सौप दिया था ताकि वो उसे अन्य राजाओं को सौप कर अपने गुरु विश्वामित्र को गुरु दक्षिणा में देने के लिए 800 श्वेतवर्णी अश्व प्राप्त कर...

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जब माता पार्वती ने दिया शिव, विष्णु, नारद, कार्तिकेय और रावण को श्राप

20:29 / BY Unknown
एक बार भगवान शंकर ने माता पार्वती के साथ द्युत (जुआ) खेलने की अभिलाषा प्रकट की। खेल में भगवान शंकर अपना सब कुछ हार गए। हारने के बाद भोलेनाथ अपनी लीला को रचते हुए पत्तो के वस्त्र पहनकर गंगा के तट पर चले गए। कार्तिकेय जी को जब सारी बात पता चली, तो वह माता पार्वती से समस्त वस्तुएँ वापस लेने आए। इस बार खेल में पार्वती जी हार गईं तथा कार्तिकेय शंकर जी का...

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रामायण – आखिर क्यों हंसने लगा मेघनाद का कटा सिर?

20:24 / BY Unknown
महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित हिंदू धर्मग्रंथ ‘रामायण’ में उल्लेख मिलता है कि रावण के बेटे का नाम मेघनाद था। उसका एक नाम इंद्रजीत भी था। दोनों नाम उसकी बहादुरी के लिए दिए गए थे। दरअसल मेघनाद, इंद्र पर जीत हासिल करने के बाद इंद्रजीत कहलाया। और मेघनाद, का मेघनाद नाम मेघों की आड़ में युद्ध करने के कारण पड़ा। वह एक वीर राक्षस योद्धा था। मेघनाद, श्रीराम और लक्ष्मण को मारना चाहता था। एक युद्ध...

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अर्जुन ने महाभारत युद्ध में युधिष्ठिर को मारने के लिए क्यों उठाई तलवार ?

20:20 / BY Unknown
महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित ‘महाभारत’ एक बहुत ही विस्तृत ग्रन्थ है जिसमें अनेकों अनेक कहानियां है। आम जन इनमे से अनेक कहानियों और प्रसंगों से अवगत है लेकिन बहुतों से अनजान है। आज हम आपको महाभारत का एक ऐसा ही प्रसंग बताते है जब अर्जुन ने अपने ज्येष्ठ भ्राता युधिष्ठिर को मारने के लिए हथियार उठाए थे। आइए जानते है आखिर अर्जुन ने ऐसा क्यों किया और इसका परिणाम क्या निकला। महाभारत काल की यह...

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